Author name: Surabhi

एक गौरवान्वित माँ, गृहिणी और शिक्षिका । A proud Mother, Homemaker, and Teacher.

हिंदी साहित्य का आदिकाल : नामकरण और औचित्य

हिंदी साहित्य को एक व्यवस्थित स्वरूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से विद्वानों ने साहित्य के इतिहास को कई काल-खण्डों में विभाजित किया है। साहित्य के काल विभाजन के बाद अध्ययन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तथा तत्कालीन प्रवृत्तियों व समय के अनुरूप प्रत्येक काल-खण्ड को एक अलग नाम दिया गया, यथा- आदिकाल, […]

Google Sheets (Excel) Formula: एक साथ कई भाषाओं में अनुवाद

आइए जानते हैं, गूगल शीट (Excel) में Translation Function के द्वारा एक साथ कई भाषाओं में अनुवाद कैसे करें? मित्रो हम में से अधिकांश लोग एसएस एक्सेल से परिचित है और अपने कार्यालय के काम को तेजी से करने के लिए एक्सेल के कई सारे फंक्शन और फॉर्मूलाओं का प्रयोग करते हैं। क्या कभी आपने

फ़ॉन्ट पचासा : Top 50 Unicode Based Hindi Fonts

Download Top 50 Unicode Based Hindi Fonts: यूनिकोड एनकोडिंग पर आधारित हिंदी के सुप्रसिद्ध और चुनिंदा 50 फ़ॉन्ट, जिनका डिजिटल हिंदी की दुनियां में व्यापक रूप से प्रयोग किया जा रहा है। अब आपकी लोकप्रिय वेबसाइ्ट www.hindiEtools.com पर मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध हैं। अकसर लोग इस बात का बहाना बनाकर यूनिकोड में

हिंदी भाषा : उत्पत्ति और विकास

हिन्दी भारोपीय परिवार की आधुनिक काल की प्रमुख भाषाओं में से एक है। भारतीय आर्य भाषाओं का विकास क्रम इस प्रकार है- संस्कृत>> पालि >> प्राकृत >> अपभ्रंश >> हिन्दी व अन्य आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ। आधुनिक आर्य भाषाएँ उत्तर भारत में बोली जाती हैं। दक्षिण भारत की प्रमुख भाषाएँ तमिल (तमिलनाडु), तेलुगू (आंध्र प्रदेश),

हिन्दी साहित्य का इतिहास : काल विभाजन एवं नामकरण

इतिहास के काल विभाजन का आधार एवं उद्देश्य : समग्र साहित्य को खंडों, तत्वों, वर्गों आदि में विभाजित कर अध्ययन को एक वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करने के लिए साहित्य का काल विभाजन आवश्यक हो जाता है। इससे साहित्य के विभिन्न अंग, उपांग तथा प्रवृत्तियों को समझने एवं उनमें स्पष्टता लाने में भी मदद मिलती है।

हिन्दी कम्प्यूटिंग : कुछ बाधाएं और कुछ उपाय

हिंदी कम्प्यूटिंग से संबन्धित लेखों की शृंखला (Series) का तीसरा लेख हिंदी कम्यूटरी की कुछ बाधाएं : अभी भी हिंदी कम्प्यूटिंग की राह में अनेक अवरोध हैं जिन्हें दूर करके ही डिजिटल हिंदी की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित समस्याएं आज भी राह का रोड़ा बनी हुई हैं:- कुछ

हिन्दी कम्प्यूटिंग : आधारभूत तत्व एवं वर्तमान स्वरूप

हिंदी कम्प्यूटिंग से संबन्धित लेखों की शृंखला (Series) का दूसरा लेख तकनीकी रूप से देखा जाए तो हिंदी कम्प्यूटिंग अभी भी अपनी शैशवावस्था में ही है। अभी भी कंप्यूटर में हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं को सौ फीसदी सपोर्ट करने वाले प्रभावी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयरों का विकास नहीं हुआ है। कभी टेक्स्ट (Text) का स्क्रीन

हिन्दी कम्प्यूटिंग : एक परिचय

हिंदी कम्प्यूटिंग से संबन्धित लेखों की शृंखला (Series) का पहला लेख बैंक, सरकारी कार्यालयों, स्कूल दफ्तरों, निजी प्रतिष्ठानों या कोर्ट कचहरी आज हर जगह कम्प्यूटर की घुसपैठ हो गई है। लगता है कि बिना कम्प्यूटर के किसी भी संस्था या कहें कि राष्ट्र की व्यवस्था सुचारु रूप से संचालित हो सकती। यह कोई कपोल-कल्पना नहीं,

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